September 9, 2020
प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ाने के लिए उपलब्ध आयुर्वेदिक औषधियां
परिचय
हाल ही में हम सबके सामने आई एक ऐसी बीमारी, जिसने दुनिया भर को एक ऐसा समय दिखा दिया, जहां एक पल को भी ना रुकने वाली दुनिया मानो अचानक से थम गई। ना ही गरीब बचा ना ही अमीर। महामारी बनके आई इस बीमारी ने इंसान को मशीन से इंसान बना दिया। जो इंसान हर वक़्त बस ज़िन्दगी की दौड़ में भागे चला जा रहा था, अचानक से उसकी ज़िन्दगी रुक गई। जिस घर में लोग सिर्फ़ सोने और खाना खाने आया करते थे, उसके अलावा घर में एक मिनट के लिए भी मन नहीं लगता था जिस इंसान का। अब वो घर ही एकमात्र ऐसी जगह बचा, जहां वो जीवित रह सकता था।
असल में घर होता क्या है, कितने लोगों ने इस महामारी की वजह से जाना। परिवार, बुजुर्गों का आशीर्वाद, माँ-पापा की परवाह और भाई बहनों का प्यार, जो कहीं खो गया था। जिसके लिए हमारे पास समय ही नहीं था आज जैसे समझ आ गया कि असल ज़िन्दगी क्या है। पैसे के पीछे भागते-भागते न हमने कभी अपनी सेहत का ध्यान रखा और न ही अपनों की। बीमार हुए तो दवा खा ली कुछ समय के लिए परहेज़ कर लिया और फिर वही सब खाना शुरू कर दिया ये कहकर कि समय कम है।
बीमारी की शुरुआत और इस महामारी का फ़ैलना
जैसा कि हम सब जानते हैं कि ये बीमारी चीन से फ़ैलना शुरू हुई और धीरे-धीरे इसने पूरी दुनिया को मानो शमशान बना दिया। और फ़िर जब सभी चिकित्सा संस्थान मिलकर भी इसका कोई तोड़ नहीं निकाल पाए तो सबने इसको महामारी का नाम दे दिया। अब देखना यह है कि क्या सच में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है?
अगर हम ये सोचते हैं तो हमारे पूर्वजों द्वारा कहे गए वो उपदेश, हमारे ग्रंथों में लिखी हुई वो बातें तो सब व्यर्थ हो जाएंगी, कि हर बीमारी का इलाज और हर समस्या का समाधान उसके कारणों में ही छुपा होता है, बस उसे ढूंढने के लिए हमारी कोशिशें और नियती को साथ होना पड़ता है। तो अब इस बीमारी के बारे में ज़्यादा बात ना करते हुए, बात करते हैं कुछ समाधान की। कोई सटीक तरीका तो अभी तक नहीं मिला है इस बीमारी का इलाज करने के लिए परन्तु कहीं ना कहीं सबका मानना है कि ये बीमारी सिर्फ़ बीमारी नहीं बल्कि प्रकृति का एक संदेश है, प्रकृति संतुलन का एक हिस्सा है क्यूंकि मनुष्य ने प्राकृतिक उत्पादों का अपनी जरूरतों के हिसाब से इतना नुकसान कर दिया था कि प्रकृति को स्वयं को संतुलित करने के लिए ऐसा करना पड़ा।
आयुर्वेद और बीमारियां
आयुर्वेद, एक पौराणिक चिकित्सा प्रणाली जो सिर्फ़ रोगों का इलाज ही नहीं करती बल्कि इंसान को ज़िन्दगी जीने का एक सही तरीका बताती है। आयुर्वेद के सिद्धांत, एक खुशहाल जीवन जीने के लिए सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शक हैं।
हमारे वेदों में और अन्य पौराणिक ग्रंथों में हमेशा कहा गया है, की जब भी मनुष्य अपनी हदों से आगे बढ़ेगा और प्रकृति का नाश करेगा तो प्रकृति स्वयं को संतुलित करने के लिए अवश्य ही कुछ करेगी। इस पृथ्वी पर ऐसा समय समय पर होना निश्चित है, क्योंकि कुछ समय के बाद संसार में पाप इतना बढ़ जाता है, कि इंसान परमात्मा को भूल ख़ुद को ही भगवान समझने लगता है और जो उसके अनुसार उचित होता है वहीं करता है।
तो मनुष्य को सच से अवगत करवाने के लिए और इस संसार में समस्त जीवों के जीवन को संवारने के लिए प्रकृति अपना ये रूप दिखाती रही है और आगे भी दिखाएगी। मनुष्य प्रकृति के इस विनाश से सिर्फ़ तभी बच सकता है जब वो प्रकृति के साथ संतुलन बनाना सीख ले और अपना जीवन सिर्फ़ अपने लिए नहीं बल्कि इस पृथ्वी पर उपस्थित सभी जीवों के लिए जिएँ।
तो हमें ज़रूरत है प्रकृति के साथ संतुलन बनाने की ओर सभी जीव जंतुओं के साथ प्रेम से रहने की। हमें अपने ख़ान-पान में ज़्यादा से ज़्यादा प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का इस्तेमाल करना चाहिए और शाकाहारी भोजन ही करना चाहिए। हमें अपनी दिनचर्या और जीवनशैली को संतुलित करना होगा ताकि हम अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ प्रकृति का भी पूरा ध्यान रख सकें और इस तरह की अन्य बीमारियों से ख़ुद को बचा सकें।
आयुर्वेद के ग्रंथों में कुछ ऐसी जड़ी बूटियों का विवरण है जो हमें किसी भी प्रकार की बीमारी से बचाने में सक्षम हैं और साथ ही इनमें से कुछ जड़ी बूटियां ऐसी हैं जिनका इस्तेमाल हम रोज़ाना अपने घर की रसोई में करते हैं और अपने भोजन को इतना पौष्टिक बनाते हैं कि हमारे बीमार होने की संभावनाएं काफ़ी हद तक ख़त्म हो जाती हैं। परन्तु आजकल की जीवनशैली और खानपान के तरीके ने हमें उन जड़ी बूटियों से वंचित कर दिया है, और हमारा भोजन हमारे शरीर के लिए विरूद्ध आहार बन गया है।
आहार (भोजन), विहार (जीवनशैली) और औषधियां
आयुर्वेद के अनुसार हर बीमारी का मुख्य कारण भोजन से जुड़ा होता है और उसका इलाज भी हमें उसी भोजन में मिल जाता है। जहां तक इस महामारी की बात है, तो अभी तक के सभी शोधों और समस्त उपलब्ध जानकारी से यही सामने आया है कि इस बीमारी से वही इंसान बच पा रहे हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। सभी चिकित्सक अभी तक एक ही समाधान को बढ़ावा दे रहे हैं जो है अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना।
हर चिकित्सा प्रणाली में इसको मजबूत करने के लिए अलग अलग प्रकार की दवाइयों का इस्तेमाल किया जाता है, पर ये दवाइयां थोड़े समय के बाद हमारे शरीर के लिए नुकसानदेह हो जाती हैं। और एक बीमारी से बचते बचते हम किसी और बीमारी का शिकार हो जाते हैं। तो इसके लिए सर्वश्रेष्ठ उपाय है कि आप अपने भोजन और अपनी जीवनशैली के माध्यम से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाएं और अनेक प्रकार की बीमारियों से बचें।
आयुर्वेद में आहार (भोजन) और विहार (जीवनशैली) को हर बीमारी का कारण और समाधान माना जाता है। संतुलित आहार-विहार हमें स्वस्थ रखता है और असंतुलित आहार-विहार हमारे दोषों को भी असंतुलित कर देता है जिसकी वजह से हमें बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
एक बार अगर हमारा आहार विहार असंतुलित हो जाने की वजह से हमें कोई बीमारी हो जाए तो आहार और विहार को संतुलित करने के साथ साथ, हमें कुछ औषधियों का भी सहारा लेना पड़ता है, जो हमारी बीमारी को जड़ से ख़त्म करने में सहायक होती हैं। इसी तरह से इस बीमारी से बचने के लिए भी हमें अपने आहार और विहार के साथ साथ कुछ औषधियों का इस्तेमाल करना पड़ेगा जो हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को थोड़ा जल्दी मजबूत बनाने में और उसे लंबे समय तक मजबूत बनाए रखने में सहायता करेंगी।
प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ाने के लिए उपलब्ध आयुर्वेदिक औषधियां
प्लैनेट आयुर्वेदा, जो सालों से आयुर्वेद के क्षेत्र में काम कर रहा है और आयुर्वेद को हर घर तक पहुंचाने के उद्देश्य से आगे बढ़ रहा है, उसके द्वारा आयुर्वेद की कुछ अत्यंत प्रभावशाली जड़ी बूटियों से बनी हर्बल दवाइयां दुनिया भर के लोगों तक पहुंचाई जा रहीं हैं। प्लैनेट आयुर्वेदा की हर्बल दवाइयां उपयोग करने के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित हैं क्योंकि हर एक दवा को आयुर्वेदिक विशेषज्ञों की देखरेख में, सभी आयुर्वेदिक सिद्धांतों का पूर्णतया पालन करते हुए बनाया जाता है।
प्लैनेट आयुर्वेदा द्वारा रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ाने के लिए उपलब्ध दवाइयों में कुछ विशेष निम्न हैं।
- इम्यून बूस्टर
- आमलकी रसायन
- गिलोयघन वटी
- स्वर्ण बसंत मालती रस
- रेस्पी सपोर्ट टी
1. इम्यून बूस्टर
अंगूर के बीज, भूमी आंवला, गौ- पीयूष (खीस) और आंवला से बनी इम्यून बूस्टर कैप्सूल्स हमारी रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ाने के लिए ही बनाई गई हैं। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि ये हमारी इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) को बूस्ट करती (बढ़ाती) हैं। इसमें उपयोग किए गए सभी घटक शुद्ध एवं प्राकृतिक हैं जो हमें अनेक बीमारियों से बचाये रखने के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।
2. आमलकी रसायन
प्लैनेट आयुर्वेदा द्वारा उपलब्ध आमलकी रसायन कैप्सूल्स आंवला के शुद्ध मानकीकृत अर्क से तैयार किए गए हैं। जिनमें प्राकृतिक आंवला में पाए जाने वाले सभी गुण हैं और ये उतने ही असरदार भी हैं। आंवला विटामिन सी का सर्वोत्तम स्त्रोत है, इसका इस्तेमाल कोई भी मनुष्य कर सकता है, चाहें वो स्वस्थ हो या फिर किसी भी बीमारी से ग्रसित हो। रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता को बढ़ाने के लिए आंवला और आमलकी रसायन दोनों ही पूर्ण रूप से सुरक्षित और सक्षम हैं।
3. गिलोय घन वटी
गिलोय जिसको अमृता के नाम से भी जाना जाता है, प्रकृति की एक ऐसी देन है, जिसका रोजाना इस्तेमाल हमारी रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता को कभी कमज़ोर नहीं होने देता और हमारे शरीर के सभी दोषों को संतुलित रखता है। गिलोय घन वटी इसी गिलोय के शुद्ध मानकीकृत अर्क से बनी हर्बल दवा है, जो गिलोय में उपस्थित सभी ज़रूरी पोषक तत्वों से परिपूर्ण है और प्राकृतिक गिलोय जितनी ही असरदार भी है।
4. स्वर्ण बसंत मालती रस
स्वर्ण बसंत मालती रस आयुर्वेद के ग्रंथों में प्रकाशित और वैद्यों द्वारा सिद्ध की गई एक ऐसी औषधि है जो गंभीर से गंभीर खांसी और जीर्ण बुखार का इलाज करने में पूर्णतया सक्षम है। सोने की शुद्ध भस्म के साथ मुक्ता भस्म, काली मिर्च, नींबू स्वरस के मिश्रण से बनाई गई ये वटी संक्रमणों से बचाने और हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में अत्यंत ही उपयोगी साबित होती है।
5. श्वास अम्बु चाय
चाय जो हमारी दिनचर्या का एक बहुत ही ख़ास हिस्सा है। दिन की अगर कम से कम एक चाय ना मिले तो मानो लगता है कि कुछ अधूरा है, तबियत जैसे नाखुश सी है। तो कितना अच्छा हो अगर वो चाय की चुस्की के साथ सेहत की देखभाल भी हो जाए।
प्लैनेट आयुर्वेदा की श्वास अम्बु चाय एक ऐसी ही हर्बल चाय है, जिसके नाम से ही पता चलता है कि ये हमारे रेस्पिरेट्री सिस्टम यानी कि श्वसन प्रणाली के लिए ही बनी है। दालचीनी, तुलसी, अदरक, लौंग, काली मिर्च और वसा के शुद्ध मानकीकृत अर्क से बनी ये चाय न ही केवल हमारी श्वास नली को मजबूत बनाती है, बल्कि हमें कई तरह के संक्रमणों से बचाने में भी सक्षम है। इसमें उपयोग की गई सभी जड़ी बूटियां हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए भी प्रसिद्ध हैं।
उपर्युक्त सभी हर्बल दवाइयों का रोज़ाना इस्तेमाल करके हम अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
निष्कर्ष
प्रकृति ने हमें हर चीज़ दी है जिसकी हमें इस जीवन यापन में ज़रूरत पड़ती है, किन्तु मनुष्य का मोह, लालच, घृणा, ईर्ष्या आदि उसको प्रकृति से खिलवाड़ करने पर मजबूर कर देता है और मनुष्य ख़ुद ही अपने विनाश का कारण बन जाता है। पता नहीं हम लोग ये क्यूं भूल जाते हैं कि समय हर किसी के पास एक समान ही है बस उसका सही प्रबंधन करके ही ज़िन्दगी को सही तरीके से जिया जाता है। पर आज समझ आ गया है कि पैसा सब कुछ नहीं होता, जो इस दुनिया का रचियता है, जिसने हम सबको ये ज़िन्दगी दी है, हमारी डोर हमेशा उसी के हाथ में है। हमें सिर्फ़ अपना कर्म करना है, फ़ल वो ख़ुद देगा।
कर्म करने का मतलब सिर्फ़ धन कमाने और पूंजी बनाने से नहीं है। हमारा अपने इस शरीर के प्रति भी कुछ कर्तव्य है, कुछ ज़िम्मेदारी है, हम जितना इसका ध्यान रखेंगे, जीवन उतना ही सरल और खुशहाल हो जाएगा। उम्मीद है इस बीमारी ने सबको जो सीख दी है लोग उसे याद रखें, और दोबारा उसी गलत जीवनशैली को ना अपनाकर, स्वस्थ जीवनशैली को अपनाएं, स्वस्थ खाएं और अपने स्वास्थ्य का पूर्णतः ध्यान रखें।