September 9, 2019
Diet and Nutrition Tips to Promote Women Health(महिलाओं के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले प्राकृतिक उपाय)
आयुर्वेद के अनुसार
आयुर्वेद के अनुसार किसी भी उम्र में सबसे अच्छा दिखने और महसूस करने के लिए एक स्वस्थ शरीर और स्वस्थ दिनचर्या का होना बहुत जरूरी है।आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार महिलाएं पुरुषों की तुलना में बहुत कम भोजन करती हैं, वे पुरुषों की अपेक्षा कम प्रोटीन खाती हैं, और जिसकी वजहसे उनको मासिक चक्र में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। महिलाओं को अपने परिवार की देखभाल करते समय खुद के लिए अलग समय निकालना बहुत मुश्किल लगता है।
एक शोध के अनुसार उम्र के साथ महिलाओं की सेहत में बदलाव आता है। 40 वर्ष की आयु में महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन असंतुलित होने लगते हैं।अगर आप चाहती हैं की आपका शरीर स्वस्थ और बिमारियों से मुक्त रहे तो इसके लिए आपको नीचे सूचीबद्ध दिशानिर्देशों का पालन करना बेहद लाभकारी साबित होगा।
इस लेख में हम महिलाओं के स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के कुछ प्राकृतिक उपायों के बारे में जानकारी प्राप्त करेगें
दिनचर्या में परिवर्तन जरूरी :
आयुर्वेद के अनुसार स्वस्थ रहने और महिला स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए शरीर में वात दोष का संतुलित रहना जरूरी है । शरीर के अंदर वात दोष को एक नियमित दिनचर्या होने से संतुलित रखा जा सकता है जैसे जल्दी जागना और जल्दी सो जाना । नियमित भोजन के समय को शामिल करना और बीच में भोजन न छोड़ना महत्वपूर्ण है। इससे वात दोष नियंत्रित रहता है और मेधा शांत और स्वस्थ बनी रहती है। आयुर्वेद के अनुसार हमेशा ताजा गर्म पका हुआ भोजन सेवन करना लाभदायक होता है ।
स्वच्छ और संतुलित आहार का उपयोग :
आयुर्वेद के अनुसार अच्छे स्वास्थ्य के लिए संतुलित पौष्टिक आहार का होना बहुत जरूरी है। ताजे मौसमी फल और हरी सब्जियां संतुलित आहार सूची में सबसे ऊपर हैं।एक शोध के अनुसार साबुत अनाज, उच्च फाइबर खाद्य पदार्थ, मांस, कम वसा वाले डेयरी उत्पाद का सेवन करना महिलाओं को स्वस्थ और बिमारियों से मुक्त रखने में मददगार साबित होता । इन सभी के अलावा पेय पदार्थ , अत्यधिक नमक और अत्यधिक वसा से दूर रहना बहुत लाभदायक होता है। महिलाओं को मल्टीविटामिन और कैल्शियम से भरपूर भोजन का सेवन करना फायदेमंद होता है ।आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार 50 से कम उम्र की महिलाओं को एक दिन में 1000 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है, जबकि 50 से अधिक उम्र की महिलाओं को एक दिन में 1200 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है, जो कि देसी गाय के दूध, बादाम और देसी गाय के घी से प्राप्त किया जा सकता है।
तनाव से रहें दूर :
तनाव का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव महिलाओं की बांझपन की समस्या से लेकर अवसाद, चिंता और हृदय रोगों तक हो सकते हैं। महिलाएं दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों से अधिक तनाव से गुजरती हैं। इस लिए एक बार आराम करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। एक महिला के लिए अपने शौक को आगे बढ़ाने या कुछ ऐसा करना बहुत ज़रूरी है जिससे उसे आनंद मिले। तनाव से मुक्त रहने के लिए ध्यान लगाना , मालिश करना और योग का अभ्यास करने जैसी तकनीकों का पालन किया जा सकता है। महिलाओं को अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है। हर समय खुश रहने की कोशिश करें ऐसा करने से यह आपको समय से पहले बूढ़ा होने से बचाएगा क्योंकि यह शरीर में तनाव हॉर्मोन ,कोर्टिसोल के स्तर को कम करता है। एक शोध के अनुसार जोर से हंसने से एंडोर्फिन निकलता है जो रक्त परिसंचरण को तेज कर देता है और शरीर को आराम प्रदान करने में सहायक होता है ।
बुरी आदतों से दूर रहें :
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार ड्रग्स, धूम्रपान, शराब महिलाओं के स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित करते हैं। कम मात्रा में शराब का सेवन उचित है लेकिन अधिक मात्रा में शराब का उपयोग करना महिला स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। कैफीन का सेवन हानिकारक होता है ।यह महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करती है
रक्तहीनता :
एक शोध के अनुसार समान आयु वर्ग के पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एनीमिया यानि रक्तहीनता अधिक आम समस्या है। यह शरीर में लोहे की कमी के कारण होती है। रक्तहीनता होने से महिलाओं में कई समस्याएं हो जाती हैं जैसे बालों का झड़ना, थकावट, सहनशक्ति की कमी और भी अनेक समस्याएं ।महिलाओं को अपने आहार में लोहे से भरपूर नट्स, सेब, चुकंदर, पालक, आंवला और अन्य खाद्य पदार्थों को शामिल करना बहुत महत्वपूर्ण साबित होता है। लोहे के अवशोषण को बढ़ाने का सबसे अच्छा तरीका है नींबू के रस के साथ एक सेब का सेवन
ब्रेस्ट कैंसर को स्वतः कैसे चेक करें :
आयुर्वेद के अनुसार महिलाओं को अपने स्तनों में किसी भी बदलाव को दिखने पर उन पर ध्यान देना चाहिए और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर से सलाह लें।एक शोध के अनुसार 40 से ऊपर की महिलाओं के लिए एक वार्षिक मैमोग्राम जाँच से पता लगाया जा सकता है क्योंकि यह स्तन कैंसर का पता लगाने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार हर 3 साल में पैप टेस्ट करवाना जरूरी :
अगर महिला को सर्वाइकल कैंसर के बारे में जानना है तो उसकी जांच के लिए 21 साल से अधिक उम्र की महिलाओं को हर 3 साल में पैप टेस्ट करवाना चाहिए। यौन रूप से प्रभावित लोगों को क्लैमाइडिया, गोनोरिया, सिफलिस, एचआईवी जैसे एसटीडीज के लिए वार्षिक परीक्षण करवाना जरूरी होता है। स्वस्थ रहने के लिए एक वार्षिक शारीरिक जांच जरूरी है।
महिलाओं के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिए प्राकृतिक जड़ी बूटियां :
आयुर्वेद के अनुसार कुछ जड़ी-बूटियों का अगर रोजाना सेवन किया जाए हैं तो वे महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार करने में मददगार होती है। ऐसी ही एक जड़ी बूटी है शतावरी। यह महिला प्रजनन प्रणाली को मजबूत करता है और हार्मोनल असंतुलन को भी नियंत्रित करता है।आयुर्वेद के अनुसार महिलाओं में कमजोरी को दूर करने के लिए यह जड़ी बूटी बहुत प्रभावी मानी जाती है।
आयुर्वेद के अनुसार महिलाओं के लिए अत्यधिक फायदेमंद अन्य जड़ी-बूटियाँ हैं
अमलाकी / आंवला और अशोक
आंवला शरीर के अंदर तीनों दोषों को संतुलित करने और पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में सहायक साबित होता है।
ध्यान देने योग्य बात :
महिलाओं को अपने भोजन में वसा की मात्रा को संतुलित रखना बहुत जरूरी होता है क्योंकि यह होर्मोनेस को असंतुलित कर देती है है जो बाद में स्त्रीरोग संबंधी अनेक समस्याओं का कारण बन सकता है।